रविवार, 1 मार्च 2009

मेरी कलम से

प्रमोशन
वर्षों से ऐसा होते रहा है
ईमानदार हमेशा रोते रहा है
जो कम करे नम्बर दो का
उनका ही प्रमोशन होते रहा है
गरीबी रेखा
नीचे वाले गरीबी रेखा के
दिन काट रहे हैं और
ऊपर वाले मजे से
दूध मलाई चाट रहे हैं
हिन्दुस्तान
हिन्दुस्तान की हर बात निराली है

आम जनता की दोनों जेबें खाली है
खाने को नहीं है दो वक़्त की रोटी पर
नेताओं के स्वागत में जोरदार तालीहै
कवियों की वर्षा
आपकी कविता सुनने आज हम पधारे हैं

आपके स्वागत में चाँद और सितारे हैं
आपकी मधुवनी सुन कोयल भी लजाती है
बेमौसम वर्षा होती, कलियाँ भी खिल जाती हैं
छंद पर अधिकार आपका नवरस के हो निर्माता
आपके इशारे पर चलते फिल्मी लेखक और निर्माता
आपकी कविता में श्रंगार रस जब आता है
सोते से उठकर गधा भी नाचने लगता है
वीर रस की पुकार सुनकर कुत्ते दोड़ने लगते हैं
घोडे भी खड़े खड़े आपस में लड़ने लगते हैं
विभत्स कविता जब होती भूकंप के झटके लगते हैं
करुण-रूदन रस सुन सुन कर, पत्थर भी रोने लगते हैं
हास्य कविता कवि सम्मलेन में कम आप सुनाते हैं
बरना हँसते-हँसते श्रोताओं के हार्ट फ़ेल हो जाते हैं
वात्सल्य रस जब आप सुनाते भक्त के आंसू झरते हैं
खुश होकर भगवान भी कवियों की वर्षा करते हैं

4 टिप्‍पणियां:

बेनामी ने कहा…

हिंदी ब्लॉगजगत में आपका स्वागत है।

एक निवेदन: कृप्या वर्ड वेरीफिकेशन हटा लें तो टिप्पणी देने में सहूलियत होगी.

दिल दुखता है... ने कहा…

बढ़िया लिखा है... बधाई हो.
हिंदी ब्लॉग के लिए आपको शुभकामनाये

गोविंद गोयल, श्रीगंगानगर ने कहा…

narayan narayan

Chaitanya Chandan ने कहा…

bahut achchha. Likhte rahiye aur aage badhte rahiye. Shubhkamnayen.